कैसे उम्र के साथ बदले इस ठुमरी के पांच रंग.. “याद पिया की आए”
ये ब्लॉग मेरे सफ़र के बारे में है, जो मैंने एक ठुमरी के साथ तय किया “याद पिया की आए”। कैसे अलग अलग मोड़...
ये ब्लॉग मेरे सफ़र के बारे में है, जो मैंने एक ठुमरी के साथ तय किया “याद पिया की आए”। कैसे अलग अलग मोड़...
तो ये रिस्पॉन्स एक मित्र की व्यथा से उपजी संवेदना का उद्गार है। म्यूज़िक डाइरेक्टरों का कीबोर्ड एक असेंबली लाइन बन चुका है और...
मई में लौंच होने वाली मारुति सुज़ुकी डिज़ायर को कंपनी ने दिल्ली में प्रदर्शित किया। कार को मैंने देखा। समझने की कोशिश की, कि...
अज़ान और भगवती जागरण वाली बहस के बीच लाउडस्पीकर की रणभूमि बना मेरा गाँव जो तस्वीर मैंने अभी सबसे पहले लगाई है, उसे देखकर...
हाल फ़िलहाल में बहुत कम ऐसे लोग मिलते हैं जिन्हें देखते ही पहली नज़र में महसूस होता है कि वो इन्सपिरेशनल हैं, जिनकी कहानी...
“बड़ों को संदेश देती मधुबनी की सातवीं क्लास की कवयित्री” कई बार कविता के बोल मज़बूत होते हैं और कविता पढ़ने का तरीक़ा भी।...
पार्ट-1 :“स्टॉपओवर पटना- अपने गृहनगर में टूरिस्ट” मेरा गाँव पटना के पास नहीं। पटना से दूर है। लगभग एक सौ सत्तर-अस्सी किलोमीटर दूर, मधुबनी...
इस सवाल का जन्म हुआ था उस फ़िटनेस बैंड के साथ जो सुबह सुबह मेरी कलाई पर बाँधा गया था। जब मैं पहुँचा था...
फ़ेसबुक आज के युग का बोधि वृक्ष है इस पर तो किसी को आपत्ति हो नहीं सकती है और अगर है भी तो कौन...
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