कैसे उम्र के साथ बदले इस ठुमरी के पांच रंग.. “याद पिया की आए”
ये ब्लॉग मेरे सफ़र के बारे में है, जो मैंने एक ठुमरी के साथ तय किया “याद पिया की आए”। कैसे अलग अलग मोड़ पर अलग तासीर के साथ ये मेरे सामने आया।
वडाली बंधु
कुछ साल पहले आपको याद होगा कि कोशिश हुई थी, भारत-पाकिस्तान मैत्री की। अमन की आशा। जिसमें कला-साहित्य के ज़रिए कोशिश की जा रही थी, भारत पाकिस्तान मैत्री की। मैत्री का तो जो होना था वो हुआ। बाक़ी मेरी दिलचस्पी की चीज़ जो उसमें से निकल कर आया वो था संगीत। दो वॉल्यूम वाली सीडी। जिसमें कई गाने थे भारत-पाकिस्तान के कलाकारों के। कोई विलक्षण ऐलबम तो नहीं था। पर हाँ, एक गाना ज़रूर लूप पर चल रहा था। वो था वडाली बंधुओं द्वारा गाया गया -याद पिया की आए। नए अरेंजमेंट के साथ ये ठुमरी मुझे बहुत ज़्यादा पसंद आ रही थी।
शोभा गुर्टू, प्रहार
इस गाने ने याद दिलाया वो मौक़ा जब पहली बार मैंने इस ठुमरी को सुना था। शोभा गुर्टू की आवाज़ में। तब वो गाना मेरे मन में कहीं अटक गया था, ये वडाली बंधु के गाने को सुनने के बाद महसूस हुआ। शायद फ़िल्म में जिस मोमेंट में ये बैकग्राउंड में बजा था, वो और गहरा ले जा रहा था इस धुन को, लफ़्ज़ों को।
उस्ताद राशिद ख़ान
ये वर्ज़न ऐसा था जो अच्छा है। अगर इस ठुमरी से लगाव है तो उस्ताद राशिद ख़ान का गाना आनंद देता है।
कौशिकी चक्रवर्ती
इस बीच कौशिकी चक्रवर्ती द्वारा गाए इस वर्ज़न को सुना तो चमत्कृत हो गया। मैं संगीत तो सुनता रहता हूँ, क्या सब चल रहा है इसका करेंट अफ़ेयर भी कामचलाऊ रहता है। देसी हो, शास्त्रीय हो या फिर पश्चिमी, पर इस बीच कौशिकी चक्रवर्ती को कहीं मिस कर गया था। जो हरकतें उनकी इसमें सुनाई देंगी वो वाकई चमत्कृत करने वाला लगा। पर संगीत में चमत्कार का आनंद बहुत सीमित रहता है।
बड़े ग़ुलाम अली ख़ान
कुछ समय पहले तक बड़े ग़ुलाम अली ख़ान को लेकर मेरे मन में एक मेंटल ब्लॉक था। जो भी क्लासिकल संगीत का क़द्रदान मिलता था, किसी ना किसी जगह पर बड़े ग़ुलाम अली का नाम चस्पा कर देता था। तो मन में कुछ खटका लगा रहता था। और ये सिलसिला अचानक टूटा जब मैंने यूट्यूब पर बड़े ग़ुलाम अली ख़ान साहब को सुना। और उन्हें सुन कर फिर से लगा कि संगीत जब चमत्कार को पार कर जाता है तो एक ऐसा ठहराव लाता है जहाँ संगीत की कलाबाज़ी कहीं पीछे छूट जाती है, सिर्फ़ सुकून का झूला होता है।
तो आजकल यही सुन रहा हूँ। देखता हूँ अगल वर्ज़न किसका वाला पसंद आता है। कोई ना कोई तो रियाज़ कर रहा होगा।
I like all five versions. Good choice hai Ji.
BTW I am not mediocre in music, in fact a beginner 🙂
I have never taken any technical training for music.
Just try to feel it through ears and heart and freeform bathroom singing.
Ba itna hi.