Tagged: social issues

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मुद्दों को उठाने की ज़रूरत नहीं अब, मुद्दे अब उठे-उठाए आते हैं।

ताज़ा शोध बता रहा है कि अब जो नए मुद्दे आ रहे हैं वो परजीवी नहीं रहे, स्वावलंबी हो गए हैं। वो रेडीमेड उठे...

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