Category: social media

2

हर जान की क़ीमत बराबर नहीं होती …

हमारी उत्सुकताओं का सरोकार  कैसे तय होता है ? तरजीह कैसे मिलती है ? किसको मिलती है ? मौत के तरीक़े से ? मरने वालों की आर्थिक...

1

कुशीनगर में ग़लती किसकी थी ? और सज़ा का गणित क्या होता है ?

ये सब सवाल मेरे ज़ेहन में इसलिए कुलबुला रहे थे क्योंकि मैंने फ़ेसबुक-ट्विटर या एएनआई के माईक पर दुख नहीं व्यक्त किया था। आंकड़ों...

0

पूजा और लाठीचार्ज के बीच एक देवी, एक मनुष्य और एक शरीर

बीएचयू में धरना चल रहा था। छात्राओं की स्टोरी चल रही थी। न्यूज़ एजेंसी की माइक पर लड़कियां बता रहीं थीं छेड़ख़ानी की शिकायत...

0

मुद्दों को उठाने की ज़रूरत नहीं अब, मुद्दे अब उठे-उठाए आते हैं।

ताज़ा शोध बता रहा है कि अब जो नए मुद्दे आ रहे हैं वो परजीवी नहीं रहे, स्वावलंबी हो गए हैं। वो रेडीमेड उठे...

0

What did I learn about Facebook after joining Sarahah ?

The first thing which I learned from Sarahah is about Post-Truth. Not the word of the year 2016 -Post-truth, but our new age belief...

0

ना तो ये मर्दानी लड़ाका हैं, ना लेडी विराट कोहली। अब शब्दावली बदलने का वक़्त आ गया है… 

ये सोच वैसी बिल्कुल नहीं है जो ऋषि कपूर की तरह ट्वीट करे कि सौरभ गांगुली जैसे सेलिब्रेशन होने वाला है या नहीं। ये...

0

सॉफ़्ट स्टेट से हार्ड स्टेट बनने का व्हाट्सऐप वीडियो आया क्या ? 

हरेक आहट पर लगता है कि तुम हो। हर नोटिफ़िकेशन के साथ भी ऐसा ही लग रहा है मुझे। व्हाट्सऐप मेरा फ़्रेंड-फ़िलॉसफ़र-गाईड है। व्हाट्सऐप...

0

ओलंपियन्स के नाम बरसाती फ़ैन की चिट्ठी

डियर ओलंपियन्स, आज छुट्टी थी तो शाम को टीवी पर एचडी चैनल लगाकर, आवाज़ तेज़ करके आपही सबको देख रहा था।आपमें से ज़्यादातर को...

0

सीसीटीवी के गणतंत्र में बकासुर बना सोशल मीडिया 

इस बार एक माँ अपने छोटे दुधमुँहे बच्चे को मारती हुई सीसीटीवी में क़ैद हुई है। सिर्फ़ मारती नहीं है, उसे गले से पकड़...

खेल दिवस और गुरू द्रोणाचार्य पर मेरे मन की बात 0

खेल दिवस और गुरू द्रोणाचार्य पर मेरे मन की बात

कुछ वक़्त पहले जीके के एक कॉफ़ी शॉप में अचानक मुलाक़ात हुई उन ऐक्टर से जिन्होंने महाभारत में द्रोणाचार्य का किरदार निभाया था। लंबी...

%d bloggers like this: