एकांकी : ये कैसा यज्ञ, ये कैसी आहुति जजमान ।
सबकी आँख पनियाई हुई है। सब ढों-ढों करके खांस रहे हैं। तीन-चार निपट लिए हैं, फर्श पर लोट रहे हैं। महिलाएं साड़ी से मुँह...
by Kranti Sambhav · Published December 10, 2016 · Last modified February 12, 2017
सबकी आँख पनियाई हुई है। सब ढों-ढों करके खांस रहे हैं। तीन-चार निपट लिए हैं, फर्श पर लोट रहे हैं। महिलाएं साड़ी से मुँह...
by Kranti Sambhav · Published December 10, 2016 · Last modified February 12, 2017
एक लाइन बार बार सुनते थे कि गुरू और अभिभावक जो कहें वो करो, जो करें वो मत करो। दरअसल हिप्पोक्रैसी हमारी डेमोक्रेसी का...
by Kranti Sambhav · Published December 10, 2016 · Last modified February 12, 2017
भारत जैसे पाखंडी देश में किसी भी मुद्दे पर शोध करना, जानकारी इकट्ठा करना, संवाद करके, अलग-अलग विचारों को सुनना, अपनी धारणा बनाना किसी...
by Kranti Sambhav · Published December 10, 2016 · Last modified February 14, 2017
स्कूल में खेले जाने वाले फ़ुटबॉल की याद आ रही थी। ये आमतौर पर ज़्यादा होने लगा है आजकल, कि तजुर्बे या उदाहरण से...
“अब कोई भी घटना इतनी निरपेक्ष भी नहीं हो सकती है, अलग अलग भी नहीं, एक दूसरे से सबका संबंध होता है. हर एक...
दिल्ली के निर्भया रेप कांड में एक मुद्दा ऐसा था, जो मामले की जघन्यता के चलते पृष्ठभूमि में चला गया था… वह मुद्दा था,...
Blog / RoadSafety / satire
by Kranti Sambhav · Published November 1, 2016 · Last modified February 14, 2017
क्या आप दिल्ली में रहते हैं ? या रहे हैं ? या फिर कभी आते-जाते रहे हैं ? या टीवी न्यूज़ देखते हैं ?...
डियर भोलेनाथ, हो सकता है कि आप मुझे जानते हों, इसलिए नहीं कि मैं टीवी पर दिखता हूं, इसलिए क्योंकि आप तो ब्रह्मा-विष्णु-महेश में...
इस सवाल का कोई गहरा मतलब नहीं, पॉपकॉर्न से मेरा मतलब आज की संस्कृति नहीं है और फ़िल्मों की जान ख़तरे में है कोई...
नाकाम रही कोशिशें ? सड़क पर सुरक्षा को लेकर पिछले एक-दो साल में कई कैंपेन हमने देखे, कुछेक का तो मैं हिस्सा भी रहा।...
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