Monthly Archive: May 2017

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हिंदुस्तानी ग्राहक कार ख़रीद का फ़ैसला कैसे करते हैं और इस कार के लिए कैसे किया ?

गाड़ियों की ख़रीद आईपीएल टूर्नामेंट जैसी होती है, जहाँ फ़ाइनल मैच से पहले पता नहीं कितने सेमी फ़ाइनल, क्वार्टर फ़ाइनल और अद्धा फ़ाइनल खेले...

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क्या गाड़ियों की टेस्ट ड्राइव रिपोर्ट पर भरोसा कम हुआ है ?

फिर भी तमाम जानकारियों के बावजूद इंसान का दिमाग़ शायद वक़्त लगाकर लिए गए फ़ैसले को ज़्यादा तरजीह देता है इसीलिए हर लौंच के...

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#musicoftheday : this harry has styles

Often we like something so much that we spend more time worrying about it than liking it…like this music ..music of Harry Styles. just...

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मासूमियत तो जवानी में होती है, बचपन में कहाँ ? मासूमियत का ही तो क़त्लेआम हो रहा है ।

जवान मासूम है। वो अधेड़ उमर के बहकावे में आ जाता है…जवानी का मन बिना झिझक गाय को माँ मान लेता है, उस माँ...

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कैसे उम्र के साथ बदले इस ठुमरी के पांच रंग.. “याद पिया की आए”

ये ब्लॉग मेरे सफ़र के बारे में है, जो मैंने एक ठुमरी के साथ तय किया “याद पिया की आए”। कैसे अलग अलग मोड़...

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