आख़िरकार Isuzu की DMax VCross दिल्ली आ ही गई
Isuzu की DMax VCross कितनी स्टाइलिश कितनी प्रैक्टिकल ?
पिकप गाड़ियां या ट्रक भारत में बहुत कॉमन तो नहीं हैं लेकिन बहुत कॉमन भी नहीं होतीं। सामान ढोने वाले डेक वाला हिस्सा सीमेंट या बोरी से भरा तो आमतौर पर दिखता है लेकिन उनमें पिकनिक का सामान, कोई एटीवी या सुपरबाइक नहीं दिखती। कहने का मतलब ये कि आमतौर पर पिकग गाड़ियां कमर्शियल सेक्टर में तो इस्तेमाल होती रही हैं, पर्सनल या पैसेंजर वाले सेगमेंट में नहीं। पर अब एक प्रोडक्ट ऐसा आया है जिसने ख़ुद को लाइफ़स्टाइल सेगमेंट की पिकप गाड़ी के तौर पर पेश किया है। ये है इसुज़ु की डीमैक्स वीक्रॉस।
क्यों इतनी देरी ?
इसुज़ु ने इस गाड़ी को दिल्ली के ऑटो एक्स्पो में प्रदर्शित किया था और तब से इसे लेकर उत्सुकता था। कंपनी ने इसे लौंच तो कर दिया पर दिल्ली के बाज़ार में ग्राहकों को कुछ महीनों का और इंतज़ार करना पड़ा। ऐसा सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी की वजह से हुआ जो 2 हज़ार सीसी से बड़े डीज़ल इंजिन वाली गाड़ियों पर लगा था। डीमैक्स वीक्रॉस में ढाई लीटर का डीज़ल इंजिन लगा हुआ है। तो सुप्रीम कोर्ट ने जब ऐसी गाड़ियों पर से पाबंदी हटाई तो फिर वीक्रॉस की भी दिल्ली में एंट्री हुई और हमने भी इसे चलाया। ट्विन कैब होने की वजह से यानि अागे के केबिन में दो कतार होने की वजह से तो इसे नए विकल्प की तरह लोग देख ही रहे थे साथ में अमेरिकी या थाईलैंड जैसे मार्केट में ऐसी स्टाइलिश गाड़ियों के चलन को देखकर इसके बारे में कार प्रेमी भी बात कर रहे थे। तो इसे चलाने के पहले एक ही सवाल था मेरे ज़ेहन में कि जिस गाड़ी को लाइफ़स्टाइल सेगमेंट की सवारी के तौर पर पेश किया गया है वो प्रैक्टिकल भी है कि नहीं
लुक
देखने में डीमैक्स वीक्रॉस एक दमदार पिकप गाड़ी लगती है। चौड़ा फ़्रंट ग्रिल, चौड़े क्रोम की पट्टी और सादगी से लिपटा हुआ हेडलैंप। बहुत बारीकियां नहीं हैं, कर्व नहीं हैं, सीधे सपाट लाइन हैं। वहीं अगले दोनों पहियों के ऊपर व्हील आर्च उभरे हुए हैं। तो कुल मिलाकर एक ठोस और स्पोर्टी लुक आता है। कैबिन ख़त्म होने के बाद डेक और उसकी बनावट तो इसे अलग कैरेक्टर तो देती ही है।
हैंडलिंग
चलाने के मामले में ये ऐसी गाड़ी शुरूआत में बिल्कुल ऐसी लगती है कि एक असल पिकप ट्रक आप चला रहे हैं। इंजिन के स्टार्ट होने से शुरूआती गियर में गाड़ी के चलने तक की आवाज़ ऐसी ही होगी, कि एक खालिस डीज़ल इंजिन चल रहा है। स्टीयरिंग भी कड़ा है। हाल फ़िलहाल में एसयूवी में भी स्टीयरिंग को हल्का किया गया है जिससे वो गाड़ियां सब चला सकें, ऐसे में वी क्रॉस का भारी स्टीयरिंग अलग से महसूस होता है। वहीं जब गाड़ी रफ़्तार पकड़ती है तो फिर चलाना काफ़ी स्मूद हो जाता है। कैबिन में आने वाली आवाज़ से लेकर सस्पेंशन तक। तेज़ रफ़्तार में कार वाली फ़ील आती है।
फ़ीचर्स
कार के अंदर बैठेंगे तो लगेगा कि डैश, रंग और मटीरियल बहुत प्रीमियम नहीं। ग्रे और बेज यानि हल्के भूरे रंग की बहुतायत है। पर बहुत सस्ता डिज़ाइन नहीं लगता है, फ़ंक्शनल है। वहीं कार में ज़रूरी फ़ीचर्स डाले गए हैं। क्लाइमेट कंट्रोल के स्विच और नॉब आकर्षक तरीके से गोलाकार डिज़ाइन में दिया गया है। मल्टीमीडिया कंट्रोल आप टचसक्रीन के ज़रिए देख सकते हैं। यूएसबी और ऑक्स इन भी दिया गया है। वहीं फ़ोन और म्यूज़िक को स्टीयरिंग वाले स्विच से भी कंट्रोल कर सकते हैं। वहीं सुरक्षा के लिए इसमें एबीएस, ईबीडी लगाया गया है। मुश्किल रास्तों पर जाने के लिए फ़ोर व्हील ड्राइव है। जिसे चलाकर देखने पर लगा कि हां ये मुश्किल रास्तों से भी मज़े से आपको निकाल सकती है। और हां पीछे सामान रखने के लिए भी अच्छी जगह है।
तो डीमैक्स वीक्रॉस क्या एक अच्छी डील है
पौने तेरह लाख रु की दिल्ली में एक्स शोरूम क़ीमत है। चार आरामदेह सीटें हैं। काम के सभी फ़ीचर्स हैं। एआरएआई की मापी हुई माइलेज है 12.4 किमीप्रतिलीटर की। फिर फ़ोर व्हील ड्राइव है। तो ये पहली ऐसी पिकप कार लग रही है जो आम कारों वाले आरामदेह और प्रैक्टिकल फ़ीचर्स से लैस है, क़ीमत भी बहुत आसमानी नहीं है। ऐसी बड़ी गाड़ी के हिसाब से माइलेज भी कम नहीं है। तो ऐसे में लग रहा है कि लाइफ़स्टाइल सेगमेंट के ग्राहकों के अलावा ये प्रैक्टिकल इस्तेमाल वाले ग्राहक भी ले सकते हैं, फार्महाउस पर खेती करने वाल नए ज़माने के किसान हैं, या नए ज़माने के व्यवसायी हैं, सामान लाना ले जाना रेगुलर काम है। या फिर कोई धुरंधर बाइकर या एडवेंचर प्रेमी जिन्हें हर वीकेंड पर अपनी प्यारी बाइक या एटीवी को लाने ले जाने के लिए अभी तक कोई कूल गाड़ी नहीं मिली थी।
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