सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए शोभा डे को लिखी खुली चिट्ठी
शोभा जी, प्रणाम।
(*अब डियर तो लिख नहीं सकते हैं, क्योंकि डियर बोलने पर मंत्री जी ने दूसरे नेता की भावनाओं को ऐसा थकूच दिया कि डीयर पार्क से भी छिटका छिटका रहता हूँ। प्रिय लिख नहीं सकता क्योंकि मुझे शक है कि मेरी स्वछंदता से जलने वाले मेरे मित्र इस चिट्ठी का प्रिंटआउट मेरी पत्नी तक पहुँचा सकते हैं और रही बात आदरणीय की तो वो खाली हमारी स्कूल प्रिंसिपल रही हैं। तो ब्वायल डाउन करके जो बचा वही संबोधन लिख रहा हूँ)
मैडम, ऐसा नहीं कि पहली बार सत्य का कोई नया पहलू उजागर हुआ है, आदिकाल से होता आया है। आगे भी होता रहेगा, बाकी हाँ ये मान लेंगे कि आजकल गैप हो जाता है। एकांगी सत्य आकर निकल जाता है, उसको हम नोच-खसोट कर समझ नहीं पाते ठीक से। ख़ैर जैसा कि हम कह रहे थे, पहले भी कुछेक खगोलीय घटनाओं के तहत सत्य के सबऑल्टर्न सत्यों का उद्घाटन होता रहा है, पर चूंकि उनमें मेरी कोई भी भूमिका, यहाँ तक कि सबसे पहले साउंड बाइट देने वाले प्रत्यक्षदर्शी के कंधे के पीछे खड़े गवाह के तौर पर भी नहीं, ताकि अपने साइकिल पंचर लगाने वाले को बोल पाएं कि टीवी वाला इंटरव्यू लिया था, तो इसलिए मेरी इस चिट्ठी को अभूतपूर्व मत समझिएगा। भूतकाल में कई भूत रहे हैं जिन्होंने सत्योद्घाटन में भभूतपूर्व भूमिका निभाई थी, पर उन सबसे अभीभूत होने का टाइम नहीं है, क्योंकि समसामयिक विषयों पर सेलिब्रिटयों को लिखी चिट्ठी के वायरल होने की आदर्श डेडलाइन खत्म हो चुका है। पर नॉन आदर्श पीक आवर में अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास हुआ तो स्वयं को रोक नहीं पाया। आपके ट्विटर हैंडिल से पता चला है कि आप सुदूर पश्चिमी यूरोपिय देश के दृश्य का आनंद ले रही हैं, जो हाल में कोलाहल हुआ है उससे अनवाइंड करना ज़रूरी भी है।
दरअसल गोवा में शूटिंग करते वक़्त नारियल वृक्ष के नीचे ये ज्ञान हुआ कि दरअसल परवर्ती सत्य कई बार सत्य को डिफ़ाइन कर देते हैं, जो महानता पहली नज़र में पकड़ में नहीं आती है। और ये अद्भुतता तब घटी जब मैं सोशल मीडिया से दो तीन घंटे दूर था। आप भी ट्राई कीजिएगा। आपकी प्रज्ञा इतनी रीजूविनेट हो जाती है कि सत्य, चाहे कितनी भी कोशिश करे अपनी लुंगी बचा नहीं पाता है, पकड़ में आ ही जाता है। तो आपने सत्य के सबसे उत्कृष्ट पटल ट्विटर पर जो भी सत्य लिखा उससे पूरा देश विचलित हो गया (*देश यानि सोशल मीडिया पढ़ें)। एक पूर्व सुंदरी मॉडल लेखिका इत्यादि के हिसाब से एक टुच्चा सा ट्वीट निकला आपके हैंडल से। अब मैडम, लुच्चा तो सर्वमान्य हो चुका है पर टुच्चा पाठ्यक्रम में आने की प्रक्रिया में ही है। धीरे धीरे वो भी मानक भाषा में शामिल हो पाएगा। पर जब तक वो नहीं होता है तब तक टुच्चे ट्वीट पर विद्वानों की राय बंटी ही हुई है।
ख़ैर।आपने तो ट्वीट एक आदर्श प्रयास के तहत किया था, क्योंकि आपकी मुहिम समाज को हेल्दी लाइफ़स्टाइल की तरफ़ धकेलना है। केवल सेलिब्रिटी की ज़िम्मेदारी नहीं कि वो फ़िट रहे। दौलतराम जोगावत पुलिसवाले की भी। मन जब ऐसा साफ़ हो तो डरना क्या ? अब आप डीयू की छात्रा तो हैं नहीं कि पुलिस को सुझाव देने से रहेंगी। समस्या ये ही कि उतना साफ़ मन हम लोगों का तो है नहीं। तो हो गए आहत। आहत होने को भले एक तबका राष्ट्रीय टाइमपास साबित करने की कोशिश करे लेकिन असल सत्य है कि ये भी हमारे देशव्यापी कर्तव्य में एक है। अपराध बोध वैसे भी एक मिडलक्लास विकृति है पर फिर भी आपको बता दें कि लोगों की ट्रोलिंग से विचलित मत हों। ऐसा तो था नहीं कि दौलतराम जोगावत की तस्वीर पहले व्हाट्सएप पर नहीं फैली थी। या उसका कोई ‘मीम’ नहीं बना था। लोगों ने चकल्लस में इसे एक दूसरे बांटा है, बांटते हुए देखा है और हमने कुछ नहीं कहा है। मैडम अंदर की बात बताऊं तो ये सोशल मीडिया पर गाली गलौज दरअसल हमारा डिफ़ेंस मेकैनिज़्म है, अाप को कोस कर हम फिर से दौलतराम की फोटो शेयर करना शुरू कर सकते हैं। मुझे पता है कि आपको ये बात बुरी लगेगी, हर्ट हो सकती हैं, बट बी रीयल, अब अंदर से तो हम और आप सेम हैं ना !! वही मीम, उन्हीं फूहड़ चुटकुलों का रसास्वादन, लोल । फ़र्क सिर्फ़ ये है कि आपके ट्विटर फ़ौलोअर ज़्यादा हैं हमारे कम हैं। आप सेलिब्रिटी हैं हम नहीं हैं। आप पेज थ्री हैं हम फ़ुटनोट भी नहीं। तो इसीलिए आप आदर्श व्यवहार के लिए मनोनीत कर दी गई हैं जिससे अपना पिंड छूटता है। आप तो पहले से इतनी गंभीर संभ्रांत महिला हैं, अब इससे भी ज़्यादा संभ्रांत हो जाएं तो नेता ना बन जाएं। तो आप लोड मत लीजिएगा सोशल मीडिया पर हमारी कुंठा का। आप ट्वीट करते रहिए। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संवेदनशील कृतियां ऐसे ही लिखते रहिए। देखिए ना आपके लिखे ने ही तो आख़िरकार दौलतराम जोगावत की बीमारी का इलाज मुमकिन करवाया है। नहीं तो मुंबई पुलिस ने पहले ही ट्वीट में दौलतराम से ऐसे पल्ला झाड़ा था जैसे यूपी में बिजली से पावर मिनिस्टर ने।
तो आप संघर्ष कीजिए, हम सबको आपके साथ आना ही पड़ेगा। बाक़ी एक वक़्त आएगा जब लोगों को पता चलेगा कि ३८ साल के करियर में जिन दौलतराम जोगावत के इलाज के लिए मुंबई पुलिस, एमपी पुलिस या इन ट्विटर ट्रोलों की अंटी से एक रुपया नहीं निकला, अब उनका इलाज हो रहा है। तो थोड़े दिनों देखिएगा आपसे ट्रोलियाने के लिए लोगों की कैसी भीड़ लगती है। जब मोक्ष आपके ट्विटर हैंडिल से तरने के बाद ही मिलेगा तो फिर श्रद्धालु वहीं तो आएंगे ना। आप गलती से माफ़ी मत मांग लीजिएगा अपने ट्वीट पर, अभी बहुत से दौलतरामों के भविष्य को सँवारना है । ऐसा कीजिए कि जाकर सेल्फ़ी ले लीजिए पुलिसवाले के साथ, आगे स्पॉन्सरशिप भी मिल सकता है। बहुत स्कोप है मैडम, समाज का कल्याण करना है कि विष तो कंठोगत करना पड़ेगा। और इतना पढ़ कर आप ये तो समझ ही गई होंगी कि मेरी बातों में एक कालजयी फ़ील है, क्योंकि मैं भविष्य की ऐतिहासिकता को भी पढ़ सकता हूँ। सो चियर्स एंड पीस।
भवदीय
देश का सबसे तेज़ी से उभरने वाला वायरल चिट्ठी लेखक
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