सॉफ़्ट स्टेट से हार्ड स्टेट बनने का व्हाट्सऐप वीडियो आया क्या ?
हरेक आहट पर लगता है कि तुम हो। हर नोटिफ़िकेशन के साथ भी ऐसा ही लग रहा है मुझे। व्हाट्सऐप मेरा फ़्रेंड-फ़िलॉसफ़र-गाईड है। व्हाट्सऐप के ग्रुप मेरे जीवन के आईटम नंबर हैं, कैटरीना-करीना हैं और जैकलीन भी हैं, मेरे ऐगनी-आन्ट हैं ( हिंदी अनु: व्यथा-चाची ), चाणक्य,वेदव्यास और देवदास हैं, डाकिया डाक लाया गाने वाला राजेश खन्ना भी । मेरा जीवन का भंवरा व्हाट्सऐप ग्रुप के रस चूस कर ही भिनभिना रहा है और हर चैट से एफ़एसएसआई प्रमाणित हनी निकाल रहा है। नोटिफ़िकेशन इसी पूरी प्रक्रिया की पाक़ीज़ा है। जिसकी आहट से पहले ही मैं फ़ोन खोल कर चैट पढ़ कर अपनी ज्ञान-पिपासा बुझाता हूँ, ज़मी पर पांव रखने भी नहीं देता। पर दो-तीन दिन से सूखा पड़ा है ये जगत कुआँ। जीवन में बहुत बड़ी त्रासदी आ चुकी है और मेरा फ़ोन सन्नाटे में घिरा बैठा है। और इन सबक बाद आज पता चला है कि दिलीप कुमार साहब ने जब ये लाइन कही थी – “इंतज़ार-ए-यार की वो उम्मीद अफ़्ज़ा घड़ियां…” तो उनकी आवाज़ में तासीर कहाँ से आई थी, दर्द कहाँ से छलक आया थी। मैं उसी बेचैनी को निकटता से महसूस कर रहा हूँ। मेसेज तो अब भी हिनहिना रहे हैं लेकिन जीवन कदमताल कर रहा है। मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर मेरी ग्रोथ का जो ग्राफ़ व्हाट्सऐप के आने से जीडीपी की तरह बढ़ा था अचानक इंप्लॉयमेंट रेट की तरह धुकुर-धुकर करने लगा है। और ये सब हो रहा है एक वीडियो के इंतज़ार में।
मुझे नहीं पता है कि वो वीडियो का ऐतिहासिक होगा या नहीं पर मैं चांस नहीं लेना चाहता हूँ। मैं भी जीवन में इतिहास को बनते हुए देखना चाहता हूँ । मैं भी चाहता हूँ कि मेरी जीवनी मे लिखने के लिए कुछ तो चैप्टर आए। अभी तो साढ़े सात सौ वर्ड से आगे नहीं जा रही है। मेरे एज ग्रुप के कई लोगों ने इतिहास को बनते देख लिया है, पता नहीं उन्होंने कैसे मैनेज किया पर मैं सिर्फ़ कुछेक लोगों को इतिहास बनते देखना ही मैनेज कर पाया हूँ। पर उससे ज़्यादा कुछ नहीं। पैदा भी ऐसे वक़्त में हुआ जहां कोई एक्साइटिंग कॉन्फ़्लिक्ट भी नहीं था। एक दो हुए भी तो वहां पर कोई-कोई जाकर लड़ आए। अपना जाना भी ना हो सका है। वीडियो की बात तो छोड़ ही दीजिए। लेकिन अब मैं ये मौक़ा नहीं छोड़ना चाहता हूँ। अब मैं तैयार हूँ। सर्जिकल फ़ुटेज- आई एम रेडी।
अब इसमें ऐतिहासिकता दरअसल पर्सनल है। आजन्म मैंने सॉफ़्ट स्टेट- सॉफ़्ट स्टेट सुना है। भारत को होना चाहिए-नहीं होना चाहिए पर एक से एक ज्ञानी शास्त्रार्थ में लगे देखे हैं। अब मेरी ये दुविधा थी कि भारत सॉफ़्ट स्टेट है किस ऐंगिल से ? कुछेक चुनिंदा पिनकोड को छोड़ कर तो ये स्टेट किसी पर तो सॉफ़्ट रहा नहीं ? अब इससे ज़्यादा हार्ड स्टेट और कैसा हो सकता है ? लेकिन बहस करना जैसे ज्ञानियों का धर्म है वैसे ही नए सवालों का गला घोंटना परमधर्म । तो मैं मन मार कर इतने साल से बैठा हुआ था। अब लग रहा है कि दुविधा ख़त्म होगी। विद्वानों के हिसाब से अब सॉफ़्ट से हार्ड स्टेट में इंडिया का मेटामोर्फ़ोसिस हो चुका है। अब बस एक आख़िरी वीडियो आने की देर है। गृहमंत्री ने ट्रांज़िशन की पुष्टि कर दी है। फोटो-वीडियो को आश्वासन भी दिया है। तो मैं इंतज़ार कर रहा हूँ।
सुना है कि ड्रोन से भी शूट हुआ है। रात का शूट है तो नाइट विज़न कैमरा भी इस्तेमाल हुआ हो सकता है ? पता नहीं एचडी में होगा कि नहीं , आजकल युद्ध के शॉट हाई डेफ़िनिशन पर ना देखें तो मज़ेदार नहीं लगता है । एचडी फ़ुटेज के इंतज़ार में मैं डाटा भी कम ही इस्तेमाल कर रहा हूँ। वाईफ़ाई खोज खोज के काम चला रहा हूँ। बस आ जाए जल्दी। कब तक हॉलीवुड का प्रोडक्शन देख देख कर काम चलाएं। ज़ीरो डार्क थर्टी को टक्कर देने के लिए होम प्रोडक्शन वाली ‘आधी रात के बाद’ जैसा कोई टाइटल चाहिए।
अब इस बेचैनी को सर्जिकल स्ट्राइक पर शक से मत जोड़िएगा। मुझे शक़ नहीं। लेकिन इसी से सबकुछ ठीक हो जाएगा इस पर यक़ीन भी नहीं। मैं सरकार को कोंच भी नहीं रहा कि किया है अटैक तो दिखाइए फोटो। तब मानेंगे। क्योंकि छप्पन इंची-छ्प्पन इंची का ताना देकर तो लोगों ने कर ही दिया है कमाल। उन्मादी सिर्फ़ एक काडर से नहीं आते हैं । विचार की धार के दोनों किनारों पर उन्माद की खेती लहलहाती है। बाक़ी इतने उकसावे के बाद अगर वीडियो भी आ जाएगा तो फिर क्या कहेंगे ? लेकिन हम सबके लिए ओंकारा फ़िल्म के पंकज कपूर तो हो नहीं सकते कि मुँह में ज़बर्दस्ती पान ठूस कर बोलें कि ‘मियां गिलौरी खाया करो, ज़ुबान क़ाबू में रहती है”। पाकिस्तानी आर्मी भी सुना है एलओसी में जंकेट लेकर गई थी पत्रकारों का। ये दिखाने के लिए कि देखिए यहां तो कोई हमला ही नहीं हुआ है। लेकिन फ़िलहाल जिसे वो जुमला कह रहे हैं वो हमला में बदल गया तो क्या होगा ?
पर इन सबसे अहम बात तो ये है कि इन सब सवाल और बवाल से मैं निरपेक्ष हूँ। मैं तो सिर्फ़ एक दर्शनार्थी हूँ। मेरी उत्कंठा है इतिहास बदलने वाले मोमेंट को पकड़ने की। तो इंतज़ार है वीडियो का। लेकिन गृहमंत्री मेरे व्हाट्सऐप ग्रुप में तो हैं नहीं पर किसी ना किसी के व्हाट्सऐप ग्रुप में तो होंगे ?
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