ओलंपियन्स के नाम बरसाती फ़ैन की चिट्ठी
डियर ओलंपियन्स,
आज छुट्टी थी तो शाम को टीवी पर एचडी चैनल लगाकर, आवाज़ तेज़ करके आपही सबको देख रहा था।आपमें से ज़्यादातर को पहचान नहीं पाया लेकिन उसमें मेरी ग़लती नहीं, आपकी है। कैसे ये बताऊंगा इस पत्र में। तो हॉकी मैच देखा और अभिनव बिंद्रा आपको भी देखा। सॉरी गाय्ज़, लेकिन हॉकी कभी पसंदीदा खेल नहीं रहा तो उस खेल को लेकर ज़्यादा समझ नहीं बन पाई, लेकिन जितना देखा और कांमेंटेटर को सुना तो लगा कि आप सभी ने अच्छी फ़ाइट दी जर्मनी को।
वैसे अभिनव, आपको बता दूॅं कि जब पता चला कि लड़खड़ाते हुए आपने क्वालिफ़ाई किया तो थोड़ा सकपका गया था मैं। तो फिर चैनल सर्फ़ करता रहा कि कहीं ना कहीं तो आपसे टकराऊँ। ख़ैर पकड़ लिया। वैसे फ़ाइनल में आपके प्रदर्शन से उमीद जग गई थी। मैं पहले तो ट्वीट करने वाला था बेस्टऑफ़लक टाइप का, लेकिन जैसे जैसे आप ऊपरी पायदान पर जाते गए, रोमांच बढ़ता गया और मन में खटका भी। एक वक़्त तो आप दूसरे नंबर पर आ गए थे। तो मैंने कुछ ट्वीट नहीं किया, कि कहीं बदशगुनी ना हो जाए। ख़ैर। चलिए टोटका तो काम नहीं आया, लेकिन आपको देखकर लगा कि एकाग्रता क्या चीज़ होती होगी ? कामेंटेटर ने भी यही कहा कि आपकी एकाग्रता किसी योगी से कम कि नहीं होती, जहां आख़िर में सांस कहां खींचे और कहां छोड़ें इसपर तक बात आ जाती है। पता है आपको देखकर आज पहली बार लगा कि एकाग्रता वाकई कुछ ठोस और असली की चीज़ होती, बचपन से अभी तक लगता था कि वो भी हाइपोथेटिकल चीज़ों में से एक है जो अभिभावक-टीचर रटाते रहते थे कि हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई आपस में सब भाई-भाई या मेहनत का फल मीठा होता है इत्यादि जैसे जुमले। ख़ैर। तभी से सोच रहा था कि आप और बाक़ी सभी निशानची सामने आएं तो पूछूँगा कि जब एकाग्र होकर निशाने की तरफ़ देखते हैं तो आपको क्या दिखता है ? मछली की ऑंख जैसा कुछ ? या अंगूठा कटा एकलव्य जैसा ?
आप उन लम्हों में क्या सोचते हैं, किसके या किनके बारे में सोचते हैं? मां-बाप के बारे में, मित्रों के बारे में या छोटे भाई-बहनों के भविष्य के बारे में ? या अपने भविष्य के बारे में ? अब जैसे क्रिकेटर तो अपने फ़ैन्स के बारे में सोचते हैं लेकिन आप? क्या आप देशवासियों के बारे में सोचते हैं जो आपके बारे में हर चार साल पर सोचते हैं ? या आप अख़बारों के एडिटोरियल और टीवी के डिबेट में हो सकने वाली आलोचनाओं के बारे में सोचते हैं ? क्रिकेटरों के लिए ये बड़ी समस्या है।
मैं कल्पना करने की कोशिश भी करूं तो शायद सबसे पहले ईएमआई ही दिमाग़ में आएगा लेकिन आपके मन में मेडल के अलावा और भी कुछ छवियां आती हैं ? जैसे रेलवे या ओएनजीसी में नौकरी ? या नजफगढ़ में फ़्लैट ? या सरकारों के वादे पर आपका भी उतना ही भरोसा है जितना मुझे अपने मोबाइल नेटवर्क पर ? या कॉर्पोरेट के वायदए जो आपके लिए उतने ही अपीलिंग होते हैं जितनी मेरे लिए लौकी की सब्ज़ी ? क्या आप ये तो नहीं सोचते कि नहीं भी जीत पाए तो क्या होगा ? जनता दो-चार दिन कुड़कुड़ करेगी फिर क्रिकेट सीरीज़ शुरू हो जाएगी। क्रिकेटरों के घरों के बाहर तो सिक्योरिटी लगवानी पड़ती है। फिर आप लोग इतने निश्चिंत कैसे दिखते हैं एचडी स्क्रीन पर ? आपको इस बात का डर कैसे नहीं कि आपके हारने पर फ़ेसबुक और ट्विटर पर आपको कैंप पर ख़र्च किए एक एक रुपए का हिसाब सामने आ जाएगा ? आपके दाल पर सरकार का कितना ख़र्च हुआ है और प्रोटीन शेक पर कितना ? कहीं आपमें से कुछ निष्काम कर्म में तो यक़ीन नहीं रखते ?
अब ये सवाल इसलिए हैं क्योंकि क्रिकेट से फ़ुर्सत मिले तब तो जान पाऊँ आप लोगों के बारे में ? जैसे मुझे तो ये भी नहीं पता कि आप लोग आते कहां से हैं ? कैंप में ही पले बढ़े हैं कि घर भी है आपका ? अगर है तो आपके मां-बाप की साउंड बाइट क्यों नहीं दिखती ? वो मिल जाएं तो शायद ये भी पूछ लूं कि आपको नॉन-क्रिकेट स्पोर्ट्स की अंधेरी गलियों की तरफ़ किसने धकेल दिया ? क्यों नहीं आपके मां-बाप आपको क्रिकेट कोचिंग के लिए ले गए ? क्यों नहीं उन्होंने अपना वीकेंड त्याग कर आपके भविष्य को संवारा ? या कोई कुंठा थी जिसने उस खेल को चुनने पर आपको मजबूर किया जो आप खेल रहे हैं ?
पहलवानों से ये जानना चाहता था कि आपलोग किन हालात में ट्रेन करते हैं ? क्या आपकी ट्रेनिंग हॉलीवुड की फ़िल्मों में जैसा दिखता है वैसी होती है या बॉलीवुड की फ़िल्मों की तरह ? क्या आपकी ट्रेनिंग के वक़्त रॉकी की तरह आई ऑफ़ द टाइगर बैकग्राउंड में बजता रहता है ? आपलोगों का रुटीन कैसा होता है ? आप घूमने फिरना जा पाते हैं? न्यूज़ीलैंड में स्काईवॉक या फिर एडवेंचर स्पोर्ट जैसी कुछ एक्स्ट्रा करिकुलर चीज़ें ? और हां आपका खान-पान कैसा होता है ? आपके ट्रेनर कैसे होते हैं ? क्या वो भी किसी टेंडर से आते हैं ?
आपसे अंग्रेज़ी में बात करते हैं या नहीं ?
वैसे ऑन अ पर्सनल नोट, मैं तो ये भी नहीं जानता कि आपमें से कितने सिंगल हैं, कितने मैरिड हैं और कौन पार्टी एनिमल हैं ? आप लोग पीआर वाले क्यों नहीं हायर कर लेते हैं ? पता तो चले किस ऐक्ट्रेस के साथ आप अगला ऐड करने वाले हैं, या ख़ाली वक़्त में किशोर के गाने पसंद हैं या आतिफ़ असलम के ? या ये कि आपकी शादी में फ़ूड मेन्यू क्या होने वाला है। मैं ये ज़रूर जानना चाहूँगा कि क्या आपको लोगों ने कभी ऑटोग्राफ़ के लिए घेरा है ? किसी मॉल या डिस्क में ? एयरपोर्ट पर साथ में सेल्फ़ी लेते होंगे ? कमसेकम ट्विटर-फ़ेसबुक ना सही इंस्टाग्राम पर ही अकाउंट खोल लेते, ये सभी फ़ोटो दिखते। नहीं कुछ तो अपनी हमर, हार्ली डेविडसन या फ़ेरारी के फ़ोटो ही लगा देते ? न्यूज़ में चलाने के भी कभी काम आ जाए ?
वैसे एक बात आप सबसे पूछनी थी, आप उन सब रिपोर्टरों के नाम क्यों याद रखते हैं जिन्होंने ज़िंदगी में कभी भी भूल-भटके आपकी स्टोरी की थी ? क्यों आप उन खेल पत्रकारों को भी सर-मैडम कह कर संबोधित करते हैं ? आपको नहीं लगता इससे आपको उठल्लु मान लिया जाएगा, आप टेकेन फॉर ग्रांटेड कैटगरी में आएंगे ? आप भी तो तिरंगा लेकर दुनिया के सामने मार्च करने जाते हैं, और कौन करता है ?
तो फिर घमंड में कमी क्यों ? रिपोर्टरों के सवाल पसंद ना आए तो आप भी दो-तीन लोगों के माइक निकाल कर फेंक क्यों नहीं देते ? क्रिकेटर तो कर देते हैं और वो भी तब, जब वो बोर्ड के लिए खेलते हैं। तो आप क्यों झिझकते हैं ? क्या रोकता है आपको ये करने से ? या उन अफ़सरों को उठाकर पटकने से जो आपके नाम पर नौकरी कर रहे हैं और आपकी जगह ख़ुद बिज़नेस क्लास में जा रहे हैं ? या उन नेताओं को जो आजीवन फ़ेडरेशनों के अध्यक्ष बने रहते हैं जिन ईवेंट में आदि से अनंत काल तक हमें कोई मेडल नहीं मिला? या फिर अपने उन डाई-हार्ड फ़ैन को जो हर चार साल पर आपका हाल-चाल पूछने आता है ?
आपका बरसाती फ़ैन।
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